GST (जीएसटी) का मतलब या फुल फॉर्म Goods and Services Tax (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) होता है।
जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत में लगने वाला इनडायरेक्ट टैक्स है, जो सामान और सर्विसेस पर लगता है।
जीएसटी सामानों और सर्विसेस पर लगने वाले टैक्स की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाता है ,और तय करता है, कि भारत के हर राज्य में किसी सामान और सर्विस पर लगने वाला टैक्स एक समान हो, जिससे किसी भी सामान का दाम पूरे भारत में लगभग एक समान हो।

जीएसटी टैक्स में ऐसी व्यवस्था की गई है, कि इसे consumption पॉइंट पर वसूल किया जाता है ना कि ओरिजिन पॉइंट पर।
किसी भी सामान के निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया के बीच कई लोग शामिल होते हैं, जैसे मैन्युफैक्चरर, होलसेल, रिटेलर और कंजूमर
जीएसटी की प्रक्रिया के तहत हर स्टेज पर टैक्स देना होता है, जैसे कि मैन्युफैक्चरर जब सामान व्होलसेलर को बेचेगा, तो होल्सेलर टैक्स पे करेगा
वहीं जब व्होलसेलर सामान रिटेलर को बेचेगा, तो रिटेलर टैक्स पे करेगा और फाइनली कंजूमर।
लेकिन कंज्यूमर को छोड़कर बाकी सभी लोगों का टैक्स रिटर्न हो जाता है।
GST (जीएसटी) की कुछ मुख्य बातें
- भारत में जीएसटी की शुरुआत 1 जुलाई 2017 को संसद द्वारा की गई।
- जीएसटी काउंसिल, जीएसटी की गवर्निंग बॉडी है, और इसके कुल 33 मेंबर हैं, जिसमें दो सेंट्रल गवर्नमेंट के, 28 स्टेट्स के और 3 यूनियन टेरिटरी के हैं।
- जीएसटी की प्रक्रिया के तहत हर दुकानदार और सर्विस प्रोवाइडर को एक जीएसटीएन नंबर दिया जाता है जिससे वह अपने टैक्स का भुगतान और रिटर्न प्राप्त कर सकता है।
- भारत का जीएसटी कलेक्शन हर साल एक लाख करोड़ के करीब होता है।
भारत में जीएसटी की जरूरत क्यों पड़ी?
भारत में जीएसटी से पहले हर स्टेट द्वारा हर सामान पर अलग-अलग सर्विस टैक्स लगाया जाता था जिसे वैट कहते थे।
इस प्रक्रिया के दो नुकसान थे-
- इस प्रक्रिया के तहत किसी सामान पर लगने वाला टैक्स अलग अलग राज्य में अलग अलग होता था, जिसके कारण सामान का दाम अलग – अलग राज्य में बहुत ज्यादा ऊपर-नीचे हो जाता था, और जो टैक्स चोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा देता था।
- इस प्रक्रिया के तहत हर स्टेज पर, लागत मूल्य पर भी टैक्स लगता था, जिसके कारण किसी सामान का दाम बहुत ज्यादा हो जाता था।
इसीलिए भारत को जरूरत थी एक ऐसे टैक्स सिस्टम की जिसमें पूरे देश में एक समान टैक्स की व्यवस्था हो।
जीएसटी ने आज पूरी इनडायरेक्ट टेक्स्ट प्रक्रिया को बहुत आसान बना दिया है और टैक्स चोरी को लगभग खत्म कर दिया है।
विभिन्न प्रकार के जीएसटी(GST)-
भारत में 4 तरह के जीएसटी टैक्स का प्रावधान है-
- सीजीएसटी- केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर – केंद्र सरकार द्वारा
- SGST- राज्य वस्तु एवं सेवा कर- राज्य सरकार द्वारा
- IGST- एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर- केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा
- UTGST- केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर- केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा
भारत में जीएसटी% के स्लैब
भारत में जीएसटी किस सामान और सर्विस पर कितना लगेगा, उसे चार स्लैब में बांटा गया है-
- 0% स्लैब– इस स्लैब के अंतर्गत जो सामान आते हैं, उस पर 0% जीएसटी लगता है।
इसके अंतर्गत मुख्तयः कृषि प्रोडक्ट आते हैं, जैसे फल, सब्जियां, मछली, मांस, किताब आदि। - 5% स्लैब- इस स्लैब के अंतर्गत वाइडऐली यूज्ड प्रोडक्ट्स आते हैं, जैसे कि शूज, टी, कॉफी, ट्रेन टिकट, और छोटे रेस्टोरेंट आदि।
- 12 -18 % स्लैब- इस स्लैब के अंतर्गत डेली यूज़ आइटम आते हैं, जैसे कि मोबाइल, कंप्यूटर, कैमरा, आयुर्वेदिक, मेडिसिन, मिनरल वाटर आदि।
- 28 % स्लैब- इस स्लैब के अंतर्गत लग्जरी आइटम आते हैं, जैसे कि एसी रेस्टोरेंट, फाइव स्टार होटल, ब्रांडेड जींस, टेलीकॉम आदि।
GST के बाहर रखे गए सामान-
कुछ सामानों को जीएसटी से बाहर रखा गया है, और भविष्य में उनको भी जीएसटी में शामिल करने की बात कही गई है।
- शराब
- पेट्रोलियम उत्पाद (पेट्रोल, डीजल)
जीएसटी के लाभ
जीएसटी के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं-
- देश भर में किसी भी सामान पर समान कर।
- कर संग्रह में पारदर्शिता
- हर राज्य की सीमा पर सामानों की जांच करने की आवश्यकता नहीं है।
- सरल और आसान ऑनलाइन प्रक्रिया
- असंगठित क्षेत्र को नियमित किया जा सकता है
कुछ अन्य जीएसटी के फुल फॉर्म-
GST- गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स
जीएसटी- जनरल सेट थ्योरी
जीएसटी- गांगेय मानक समय
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