HOD (एचओडी) का मतलब या फुल फॉर्म Head of Department (हेड ऑफ डिपार्टमेंट) होता है।
HOD (एचओडी) को ही हिंदी में विभाग का प्रमुख कहा जाता है।
भारत के साथ-साथ, दुनिया के बहुत सारे इंग्लिश बोलने वाले देश में यूनिवर्सिटी, कॉलेज या इंस्टीट्यूशंस अपने हेड ऑफ द डिपार्टमेंट मतलब HOD का यूज़ किसी पार्टिकुलर डिपार्टमेंट के हेड को दर्शाने के लिए करते हैं।
एच ओ डी उनके इंस्टिट्यूशन के किसी डिपार्टमेंट का हेड होता है जिसकी जिम्मेवारी डिपार्टमेंट को सही ढंग से मैनेज करना और चलाना होता है।
भारत में सबसे ज्यादा एचओडी या हेड ऑफ डिपार्टमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में होते हैं, इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रहे अलग-अलग इंजीनियरिंग ब्रांच जैसे मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस, सिविल इंजीनियरिंग आदि के लिए अलग-अलग हेड ऑफ डिपार्टमेंट होते हैं ।
जिनका काम अपने डिपार्टमेंट के स्टूडेंट और टीचर के साथ-साथ डिपार्टमेंट की जरूरतों को भी देखना होता है।

उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि VIT जो कि एक फेमस इंजीनियरिंग कॉलेज है, वेल्लोर तमिलनाडु में, उसमें इंजीनियरिंग के साथ-साथ कई अन्य कोर्स भी पढ़ाए जाते हैं ,तो इंजीनियरिंग के जितने ब्रांच हैं ,उतने ही एचओडी यानी हेड ऑफ डिपार्टमेंट, इस कॉलेज में होंगे।
HOD (एचओडी) किसी डिपार्टमेंट को मैनेज करने के साथ-साथ स्पेशल क्लास भी लेते हैं, अक्सर देखा गया है कि एचओडी किसी इंपोर्टेंट सब्जेक्ट का ही क्लास लेते हैं, और स्टूडेंट्स को अपने एक्सपीरियंस के कारण बेहतर समझा पाते हैं।
मेडिकल के कुछ सबसे बेहतरीन कोर्स जैसे की एमबीबीएस और एमडी में, एचओडी के क्लास को बहुत ही ज्यादा तवज्जो दी जाती है।
संस्थानों में HOD (एचओडी) की आवश्यकता
किसी भी डिपार्टमेंट का काम सही और सुचारू रूप से चल सके, इसके लिए जरूरत होती है कि उस डिपार्टमेंट की जिम्मेवारी किसी एक्सपीरियंस वाले पर्सन के पास हो।
अगर उस डिपार्टमेंट के हेड के पास उस डिपार्टमेंट का नॉलेज और एक्सपीरियंस होगा तो वह उस डिपार्टमेंट को सही ढंग से चला पाएगा, आगे लेकर जा पाएगा।
तो इसीलिए कोई भी इंस्टीटूशन अपने किसी डिपार्टमेंट के लिए हेड ऑफ डिपार्टमेंट चुनता है, जिसके पास उस डिपार्टमेंट का अच्छा खासा एक्सपीरियंस होता है।
मान लिया कि किसी इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रिकल ब्रांच के लिए एक HOD (एचओडी) की जरूरत है,जो बहुत सरे जरुरी कदम उठाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके ।की छात्रों को बेहतर पढ़ाया जा सके, शिक्षकों से बेहतर काम लिया जा सके, और पूरा इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट ही बहुत अच्छा कर सके।
मतलब उस डिपार्टमेंट की पूरी जिम्मेवारी उस डिपार्टमेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट पर होगी।
इस तरह से एक अच्छे एक्सपीरियंस वाले रिस्पांसिबल हेड ऑफ डिपार्टमेंट के कारण वह डिपार्टमेंट बहुत अच्छा कर पाएगा और जब इसी तरह एक-एक डिपार्टमेंट अच्छा कर पाएगा तो पूरा इंस्टिट्यूशन अच्छा कर पाएगा।
इसीलिए हेड ऑफ डिपार्टमेंट बनने के लिए कम से कम 10 से 15 साल का उस डिपार्टमेंट का एक्सपीरियंस होना जरूरी होता है।