MSP (एमएसपी) का फुल फॉर्म या मतलब Minimum Support Price (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) होता है
एमएसपी का फुल फॉर्म हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य होता है
न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य होता है जिससे नीचे किसान की फसल मंडी में नहीं खरीदी जा सकती है
एमएसपी किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी हाल में किसान को उसके फसल का उसके लागत मूल्य से कुछ ज्यादा दाम जरूर मिल जाएगा

भारत सरकार की एजेंसी कमिशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज यानी CACP हर साल किसी भी फसल को बोये जाने से पहले, उस फसल का एक न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है ताकि किसानों को उनके फसल का सही दाम मिल सके
सीएसीपी की सिफारिश पर भारत सरकार फसलों का एमएसपी तय करती है
अभी फिलहाल 26 फसलों पर एमएसपी लागू है जिनमें अनाज दलहन तिलहन आदि शामिल है
एक उदाहरण के साथ MSP को समझने के लिए, सरकार ने 2021 गेहूं की फसल के लिए प्रति क्विंटल with 2000 का एमएसपी तय किया है, तो एमएसपी कानून कहता है कि कोई भी सरकारी मंडी किसान से गेहूं की खरीद ₹ 2000 प्रति क्विंटल से नीचे नहीं कर सकती है।
जिन किसानों को एमएसपी का फायदा मिल पाता है, आज उनकी आर्थिक स्थिति काफी सुधर गई है, लेकिन दुख की बात यह है कि आज भी हमारे देश के बहुत कम ही ऐसे किसान हैं जिनको एमएसपी का पूरा लाभ मिल पाता है
सरकार एमएसपी निर्धारित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करती है कि किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदी जा सके, इसके लिए भारत सरकार की संस्था एफसीआई नें जिला और ब्लॉक स्तर पर बहुत सारा गोदाम बना रखा है
फिर सरकार इस अनाज को अपनी जरूरत के हिसाब से या तो बाजार में बेच देती है, या गरीब लोगों के लिए चलाए जा रहे फूड सिक्योरिटी योजना के तहत लोगों को सस्ते दामों पर मुहैया करवा देती हैं
एमएसपी कैसे तैयार किया जाता है?
एमएसपी तैयार करते वक्त फसल और किसानों से जुड़ी बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है
उनमें से कुछ प्रमुख पॉइंट निम्न है-
- शारीरिक श्रम
- पशु श्रम या मशीन श्रम
- जमीन का राजस्व
- स्थाई पूंजी पर ब्याज
- अन्य कीमतें
एमएसपी तैयार करने में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
जब सरकारी एजेंसियां MSP तैयार करती हैं तो उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है
सबसे बड़ी समस्या आती है कि हमारा देश बहुत बड़ा है और अलग अलग राज्य के मिट्टी की गुणवत्ता अलग-अलग है, साथ में हर राज्य में जलवायु की भी विविधता है
कुछ अन्य समस्याएं जैसे कि लागत में विविधता, पानी की सुविधा में विविधता, श्रम करने की विविधता और कुछ अन्य समस्याओं का भी एमएसपी तैयार करते वक्त सामना करना पड़ता है
एमएसपी का फायदा
- एमएसपी का सबसे बड़ा फायदा यह होता है, कि यह किसानों को गारंटी देता है कि उसके फसल की एक सही कीमत उसे जरूर मिल जाएगी
- एमएसपी का एक और फायदा यह होता है कि हर साल तय किया जाता है और तय करते वक्त कृषि से जुडी बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है
- एमएसपी के कारण जब किसान अपनी फसल को किसी सरकारी मंडी में बेच पाता है तो फसल का पूरा पैसा सीधे उसके बैंक अकाउंट में पहुंच जाता है इससे किसान बिचौलियों और अन्य तरह के करप्शन से बच पाता है
एमएसपी के कुछ रोचक तथ्य
- साल 1966- 67 में गेहूं पर पहली बार एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस निर्धारित किया गया और उसके बाद धीरे-धीरे अन्य फसलों को भी इसमें शामिल किया गया
- एमएसपी का बहुत ही प्रसिद्ध कानून होने के बावजूद भारत के केवल 6% किसानों को ही एमएसपी पर फसल बेचने का मौका मिल पाता है, उसमें से भी 90% किसान पंजाब और हरियाणा के होते हैं
इसी तरह के फुल फॉर्म
सीबीआई फुल फॉर्म